वास्तव में जो श्रमशील है वही प्रगतिशील है- ब्रह्मदेव उपाध्याय,
पट्टी।बाल अधिकार परियोजना के अंतर्गत तरुण चेतना द्वारा बहुता ग्राम पंचायत मे अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर गोष्ठी एवं रैली का आयोजन किया गया। इस अवसर पर तरुण चेतना के उपाध्यक्ष ब्रह्मदेव उपाध्याय बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि वास्तव में “जो श्रमशील है वही प्रगतिशील है।”मजदूर दिवस के इतिहास को बताते हुए उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल एक मई को मनाया जाता है।मजदूर दिवस पहली बार 1889 में मनाने का फैसला लिया गया था। श्री उपाध्याय ने तापमान को देखते हुए लोगों से आवाहन किया कि अपने अपने जन्मदिन एवं विवाह के अवसर पर वृक्ष लगाकर अपने गांव को हरा भरा बनाएं।इसी क्रम मे तरुण चेतना के सह-निदेशक हकीम अंसारी ने कहा कि मजदूरों का सम्मान करो क्योंकि इन्हीं मजदूर के दम पर धरती से अनाज उगाया जाता है। हम मजदूर है मजबूर नहीं कहने में मुझे शर्म नहीं 1889 के पहले मजदूरों को एक दिन में पंद्रह घंटे कार्य करना पड़ता था। आज के ही दिन तय किया गया था हर मजदूर की प्रतिदिन कार्य की अवधि आठ घंटे होगा। आज ही के दिन अमेरिका के शिकागो शहर में बुलंद हुई आवाज जब मजदूर सड़क पर उतर आए थे। तब से एक मई को मजदूर दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया। बाल अधिकार परियोजना के कोऑर्डिनेटर डॉक्टर अच्छे लाल बिंद ने उपस्थित मजदूर महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि महिला हमारे देश की आधी आबादी है। सम्मान के साथ मजदूरी पाना हर मजदूर का संवैधानिक अधिकार है हम सबको महिला मजदूर के अधिकारों के प्रति जागरूक होना आवश्यक है।इस कार्यक्रम का संचालन सेतु प्रोजेक्ट के रिसर्च ऑफिसर श्याम शंकर शुक्ला ने किया।महिलाओ ने रैली निकाल कर नारा लगाते हुए।जब तक भूखा इंसान रहेगा धरती पर तूफान रहेगा।अभी तो यह लड़ाई है अभी और लड़ाई है।”मजदूरों के भी अधिकार है,उनके भी घर परिवार है ।।” अपनी आवाज बुलंद किया।इस कार्यक्रम में शकुंतला देवी, अराध्या, शीला, राधा, सुधा गौतम, नाजरीन अंसारी, आरती, छाया, लालसा आ लोगों ने उपस्थित रहे।
वास्तव में जो श्रमशील है वही प्रगतिशील है- ब्रह्मदेव उपाध्याय,
Recent Comments
Hello world!
on