Friday, May 2, 2025
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पुस्तकीय ज्ञान से संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास नहीं होता —प्रो के. पी. सिंह

पुस्तकीय ज्ञान से संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास नहीं होता —प्रो के. पी. सिंह

पट्टी।आज के समय में बच्चों में जितनी परिपक्वता आ रही है उसमें पुस्तकीय ज्ञान के साथ साथ सोशल नेटवर्किंग का भी बड़ा योगदान है क्योंकि यह एक दूसरे को निकट लाने का काम करता है ।और इन दोनों के योगदान से संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास संभव हो पाता है।उक्त बातें स्थानीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पट्टी प्रतापगढ़ के राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर केपी सिंह ने कही। अपने उद्बोधन में उन्होंने आगे कहा कि वृक्ष साक्षात शिव के रूप होते हैं जो पर्यावरण के जहर को पीने का कार्य करते हैं और जिनके द्वारा हमारा पर्यावरण स्वच्छ और सुंदर होता है। इसीलिए हमारे देश में वृक्षों की ,नदियों की और पहाड़ों की साथ ही साथ हर किसी की पूजा होती है। उन्होंने अपने उद्बोधन में पर्यावरण संरक्षण पर बल देते हुए यह संदेश शिविरार्थियों को दिया कि आप पर्यावरण का संरक्षण करें।आपने यह भी कहा कि जिस दिन आपमें मानवीय ,दैवीय और सदगुणों का विकास हो जाएगा उस दिन आप श्रेष्ठ मानव हो जाएंगे। समापन समारोह का प्रारंभ सरस्वती मां की प्रतिमा और युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद के प्रतिमा पर माल्यार्पण पूजन अर्चन मुख्य अतिथि के द्वारा किया गया। सभी कार्यक्रमाधिकारियों द्वारा मुख्य अतिथि का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया कार्यक्रम में सरस्वती वंदना सृजल तिवारी, गरिमा और शिवानी ने प्रस्तुत किया। स्वागत गीत साक्षी सोनी ने प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि का स्वागत भाषण डॉ रागिनी सोनकर ने किया। खुशी तिवारी ने राष्ट्रीय गीत प्रस्तुत किया । काल भैरवाराष्टकम अंशु पाठक ने प्रस्तुत किया। समापन समारोह की अध्यक्षता डॉ वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने किया। संचालन श्रद्धा शुक्ला ने किया तथा सात दिवसीय विशेष शिविर की आख्या डॉ देवेंद्र नारायण पाण्डेय ने प्रस्तुत किया।सभी के प्रति आभार ज्ञापन डॉ दिलीप सिंह ने किया। राष्ट्रीय सेवा योजना के लक्ष्य गीत तथा राष्ट्रगान के साथ सात दिवसीय इस विशेष शिविर का समापन हुआ।

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